बुधवार, मार्च 04, 2009
सूरजकुंड के बहाने दो बात...
अपना विचार।
झलकियां
1 मेले परिसर के बाहर गाड़ी पार्किंग की व्यवस्था की गई थी। लेकिन अजीबोगरीब स्थिति तब पैदा हो गई जब एक कार वाला गाड़ी पार्क करने को लेकर दूसरे कारवाले से बुरी तरह से उलझ गया। दोनों कारों में सवार परिवार वालों के बीच- बचाव के बाद मामला शांत हुआ।
2 पूरे मेले परिसर में खाना बहुत ही मंहगा था। यहां तक की बाजार में उपलब्ध 4 रूपये की चाय यहां 10 रूपये में मिल रही थी। दिन चढ़ने के बाद भी काफी लोगों ने वहां खाना नहीं खाया। और ‘भूखे भजन न होई गोपाला’। नतीजा वे सब जल्दी घर को लौट रहे थे।
3 मेले में आए विदेशी सैलानियों ने यहां राजस्थान का मजा लिया। उन्होनें जमकर उंट की सवारी की। पांव में धुंधुरू और शानदार ढ़ंग से सजाए गए उंट बहुत ही आकर्षक लग रहे थे ।
4 मेले की भीड़ से अलग मीडिया सेंटर की व्यवस्था की गई थी। यहां का माहौल बिल्कुल शांत था। चाय- पानी की भी व्यवस्था रहने के कारण मीडियाकर्मीयों को यहां पीते-पिलाते देखा गया।
5 आईआईएमसी के छात्रों को लाने और ले जाने के लिए बस की व्यवस्था की गई थी। जाते वक्त अन्ताक्षरी की घुनों ने माहौल को जानदार बना दिया। लेकिन आते समय छात्र इतने थक गए थे कि कइयों के मुंह से आवाज भी नहीं निकल पा रही थी।
6 मेले में इस बार पहली बार मिस्र शामिल हुआ था। यह विशेष आकर्षण का केन्द्र भी रहा । यहां से आए प्रतिनिघि मिल रहे सम्मान से काफी खुश थें।
सूरज कुंडमेला
विश्व सुरक्षा एंव क्षेत्रीय संगठन
चंदन कुमार चैधरी, नई दिल्ली - आज विश्व में कई क्षेत्रीय संगठन है। जिसके अपने अलग -अलग हित हैं। लेकिन इन क्षेत्रीय संगठनों के बनने से विश्व की सुरक्षा एंव शान्ति मे बढ़ोतरी हुई है। द्वितीय विश्व युद्ध ने विश्व में सुरक्षा और शान्ति को ध्वस्त कर दिया था । जिससे सबक लेते हुए अमरीका, रूस , फांस आदि महाशक्तियों ने व्यवहारिक कदम उठाते हुए मानव अस्तित्व की रक्षा के लिए 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना किया था । 1945 में ही गठित अरब लीग से लेकर 2008 में बने यूनासूर तक कई क्षेत्रीय संगठन अपने उद्देश्य के साथ शांति और सुरक्षा के कार्य में लगे हुए हैं क्षेत्रीय संगठन की उपयोगिता अमरीकी सीनेटर वेण्डनबर्ग के अमरीकी संसद कांग्रेस के उच्च सदन सीनेट में दिए गए इस बयान से साबित होता हैः- शक्ति को शक्ति द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है । हमें विश्व को द्विध्रुवीय से बहुध्रुवीय बनाना होगा , जिससे शक्तियां विकेन्द्रित रहेंगी । संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी अपने चार्टर के अनुच्छेद 33 में क्षेत्रीय संगठनों की उपयोगिता को स्वीकार करके मान्यता दी गई है । संध की मान्यता है कि क्षेत्रीय संगठन के सहयोग से शान्ति ,विकास , और सुरक्षात्मक कार्यों को विश्व में आगे बढाया जा सकेगा ।
विश्व में कई क्षेत्रीय संगठन है जिनमें से कुछ अरब लीग, अमेरीकी राज्यों का संगठन जिसे संक्षेप में ओ,ए,एस कहा जाता है , यूरोपीय आर्थिक समुदाय , अफ्रीकी एकता संघ , आसियान, गल्फ सहयोग परिषद , दक्षिण एश्यिा सहयोग संगठन यानि सार्क , एशिया -प्रशांत आर्थिक सहयोग संघ, हिमतक्षेस ,यूनासुर प्रमुख हैं । इनके सहयोग से संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व सुरक्षा एंव शान्ति को बढ़ावा देने में ज्यादा सफल साबित हो रही है। यह संगठन क्षेत्रीय हितों के साथ-साथ सम्पूर्ण मानवता के लिए जैसं मानव अधिकार , विश्व कल्याण ,मुक्त बाजार और अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के उन्मूलन के लिए भी कार्य कर रहा है।
मीडिया पर मंदी का असर पड़ेगा
मीडिया पर मंदी का असर पड़ेगा भारतीय जनसंचार संस्थान के रेडियो और टेलीविजन विभाग में सह आचार्य शाश्वती गोस्वामी का कहना है कि मीडिया पुरी तरह से विज्ञापन पर निर्भर है । मंदी की वजह से मीडिया सेक्टर को विज्ञापन नहीं मिल रहा है जिससे इस विभाग में आगें कुछ दिनों के लिए भर्ती में कमी हो सकती है या बंद भी हो सकता है । साथ ही मीडिया सेक्टर को विज्ञापन प्राप्त करने के नए तरीके भी ढूंढने पर सकते हैं। यह बातें उन्होनें एक साक्षात्कार में कही है । इसी साक्षात्कार में उन्होनें कहा कि मीडिया के स्तर में पिछले दिनों आई गिरावट के लिए बाजार जिम्मेदार है । जो लोग मीडिया को चलाते हैं उन्हें लगता है कि एक पे्रज थ्री वाला कल्चर बनाया जाय जिससे हमें ज्यादा फायदा पहुंचेगा । ऐसाा सच है नहीं। इस तरह से लोगों की संवेदनसीलता खत्म करने की कोशिश की जा रही है । हमारे यहां माॅल संस्कृति विकसित करने की कोशिश की जा रही है जो एक अजीब तरह की संस्कृृति है । भारतीय घरों में इस का माहौल है नहीं फिर भी लाग धुलमिल गए हैं । बाजार सोचता है कि माॅल होगा तो विज्ञापन होगा और विज्ञापन होगा तो मीडिया चलेगा अतः ज्यादा दुख की बातें मीडिया में न हो जिससे लोग सहम जांए। इसलिए मीडिया के स्तर में पिछले दिनों गिरावट आई है । मीडिया का गिरावट समाज के साथ होता है । यह एक चक्र की तरह है जिसमें मीडिया समाज के साथ ही चलता है ।
इसी साक्षात्कार में महिलाओं की नाकारात्मक छवि मीडिया द्वारा पेश किए जाते रहने का सिलसिला इस वर्ष थमने से उन्होंने इन्कार कर दिया। उन्होनें कहा कि महिला को एक उपभोग की वस्तु की तरह पेश किया गया है । इसे रोकने के लिए कोई कानून लाने से कुछ नहीं होगा । इसे रोकने के लिए जनता की मानसिकता बदलना होगा । क्योंकि मीडिया जनता की भावना को ही जगह देती है । जनता बदलेगी तो मीडिया भी अवश्य बदलेगा
पूर्वोतर से जुड़े एक सवाल की जवाब में उन्होनें कहा कि पूर्वोतर एक बात है लेकिन लेकिन उसमें 7 राज्य है । हरेक राज्य की संस्कृृति अलग है । समस्या अलग है अभी तक तो मीडिया की रिपोर्टिंग बहुत खराब रहा है । इससे पूर्वोतर मुख्यधारा में शामिल नहीे हो पाएगा । ऐसे में पत्रकारों को चाहिए कि वो समस्या को पहचाने । और उसी तरह की रिपोर्टिंग करे । सभी तरह की मीडिया माघ्यमों में इस वर्ष श्रीमती गोस्वामी एफएम रेडियो को आगे देख रहीं हैं । उनका मानना है कि अखबार तो रहेगा ही लेकिन फिलहाल दो तीन वर्ष एफ एम रेडियो का धूम धडाका जमके चलेगा भविष्य की पत्रकारिता की जिम्मेदारी वह पीढी के युवा पत्रकारों के कंधे पर डालते हुए कहती हैं कि वर्ष 2009 में जो पत्रकार बनकर बाहर जाए वह थोड़ी जवाबदेही से काम करें । साथ ही यह भी ध्यान रखें कि यह न्यूज किसी के काम आएंगंे कि नहीं।