बुधवार, मार्च 04, 2009

विश्व सुरक्षा एंव क्षेत्रीय संगठन

चंदन कुमार चैधरी, नई दिल्ली - आज विश्व में कई क्षेत्रीय संगठन है। जिसके अपने अलग -अलग हित हैं। लेकिन इन क्षेत्रीय संगठनों के बनने से विश्व की सुरक्षा एंव शान्ति मे बढ़ोतरी हुई है। द्वितीय विश्व युद्ध ने विश्व में सुरक्षा और शान्ति को ध्वस्त कर दिया था । जिससे सबक लेते हुए अमरीका, रूस , फांस आदि महाशक्तियों ने व्यवहारिक कदम उठाते हुए मानव अस्तित्व की रक्षा के लिए 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना किया था । 1945 में ही गठित अरब लीग से लेकर 2008 में बने यूनासूर तक कई क्षेत्रीय संगठन अपने उद्देश्य के साथ शांति और सुरक्षा के कार्य में लगे हुए हैं क्षेत्रीय संगठन की उपयोगिता अमरीकी सीनेटर वेण्डनबर्ग के अमरीकी संसद कांग्रेस के उच्च सदन सीनेट में दिए गए इस बयान से साबित होता हैः- शक्ति को शक्ति द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है । हमें विश्व को द्विध्रुवीय से बहुध्रुवीय बनाना होगा , जिससे शक्तियां विकेन्द्रित रहेंगी । संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी अपने चार्टर के अनुच्छेद 33 में क्षेत्रीय संगठनों की उपयोगिता को स्वीकार करके मान्यता दी गई है । संध की मान्यता है कि क्षेत्रीय संगठन के सहयोग से शान्ति ,विकास , और सुरक्षात्मक कार्यों को विश्व में आगे बढाया जा सकेगा ।

विश्व में कई क्षेत्रीय संगठन है जिनमें से कुछ अरब लीग, अमेरीकी राज्यों का संगठन जिसे संक्षेप में ओ,ए,एस कहा जाता है , यूरोपीय आर्थिक समुदाय , अफ्रीकी एकता संघ , आसियान, गल्फ सहयोग परिषद , दक्षिण एश्यिा सहयोग संगठन यानि सार्क , एशिया -प्रशांत आर्थिक सहयोग संघ, हिमतक्षेस ,यूनासुर प्रमुख हैं । इनके सहयोग से संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व सुरक्षा एंव शान्ति को बढ़ावा देने में ज्यादा सफल साबित हो रही है। यह संगठन क्षेत्रीय हितों के साथ-साथ सम्पूर्ण मानवता के लिए जैसं मानव अधिकार , विश्व कल्याण ,मुक्त बाजार और अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के उन्मूलन के लिए भी कार्य कर रहा है।

कोई टिप्पणी नहीं: