बुधवार, मार्च 04, 2009

मीडिया पर मंदी का असर पड़ेगा

मीडिया पर मंदी का असर पड़ेगा भारतीय जनसंचार संस्थान के रेडियो और टेलीविजन विभाग में सह आचार्य शाश्वती गोस्वामी का कहना है कि मीडिया पुरी तरह से विज्ञापन पर निर्भर है । मंदी की वजह से मीडिया सेक्टर को विज्ञापन नहीं मिल रहा है जिससे इस विभाग में आगें कुछ दिनों के लिए भर्ती में कमी हो सकती है या बंद भी हो सकता है । साथ ही मीडिया सेक्टर को विज्ञापन प्राप्त करने के नए तरीके भी ढूंढने पर सकते हैं। यह बातें उन्होनें एक साक्षात्कार में कही है । इसी साक्षात्कार में उन्होनें कहा कि मीडिया के स्तर में पिछले दिनों आई गिरावट के लिए बाजार जिम्मेदार है । जो लोग मीडिया को चलाते हैं उन्हें लगता है कि एक पे्रज थ्री वाला कल्चर बनाया जाय जिससे हमें ज्यादा फायदा पहुंचेगा । ऐसाा सच है नहीं। इस तरह से लोगों की संवेदनसीलता खत्म करने की कोशिश की जा रही है । हमारे यहां माॅल संस्कृति विकसित करने की कोशिश की जा रही है जो एक अजीब तरह की संस्कृृति है । भारतीय घरों में इस का माहौल है नहीं फिर भी लाग धुलमिल गए हैं । बाजार सोचता है कि माॅल होगा तो विज्ञापन होगा और विज्ञापन होगा तो मीडिया चलेगा अतः ज्यादा दुख की बातें मीडिया में न हो जिससे लोग सहम जांए। इसलिए मीडिया के स्तर में पिछले दिनों गिरावट आई है । मीडिया का गिरावट समाज के साथ होता है । यह एक चक्र की तरह है जिसमें मीडिया समाज के साथ ही चलता है ।

इसी साक्षात्कार में महिलाओं की नाकारात्मक छवि मीडिया द्वारा पेश किए जाते रहने का सिलसिला इस वर्ष थमने से उन्होंने इन्कार कर दिया। उन्होनें कहा कि महिला को एक उपभोग की वस्तु की तरह पेश किया गया है । इसे रोकने के लिए कोई कानून लाने से कुछ नहीं होगा । इसे रोकने के लिए जनता की मानसिकता बदलना होगा । क्योंकि मीडिया जनता की भावना को ही जगह देती है । जनता बदलेगी तो मीडिया भी अवश्य बदलेगा

पूर्वोतर से जुड़े एक सवाल की जवाब में उन्होनें कहा कि पूर्वोतर एक बात है लेकिन लेकिन उसमें 7 राज्य है । हरेक राज्य की संस्कृृति अलग है । समस्या अलग है अभी तक तो मीडिया की रिपोर्टिंग बहुत खराब रहा है । इससे पूर्वोतर मुख्यधारा में शामिल नहीे हो पाएगा । ऐसे में पत्रकारों को चाहिए कि वो समस्या को पहचाने । और उसी तरह की रिपोर्टिंग करे । सभी तरह की मीडिया माघ्यमों में इस वर्ष श्रीमती गोस्वामी एफएम रेडियो को आगे देख रहीं हैं । उनका मानना है कि अखबार तो रहेगा ही लेकिन फिलहाल दो तीन वर्ष एफ एम रेडियो का धूम धडाका जमके चलेगा भविष्य की पत्रकारिता की जिम्मेदारी वह पीढी के युवा पत्रकारों के कंधे पर डालते हुए कहती हैं कि वर्ष 2009 में जो पत्रकार बनकर बाहर जाए वह थोड़ी जवाबदेही से काम करें । साथ ही यह भी ध्यान रखें कि यह न्यूज किसी के काम आएंगंे कि नहीं।

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