बुधवार, मार्च 04, 2009

सूरज कुंडमेला

विश्व प्रसिद्ध सूरजकुंड मेला हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी आयोजित किया गया। इस मेले का उदधाटन देश के राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने किया । यह मेला केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय और हरियाणा राज्य पर्यटन मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से करवाया जाता है ।यह मेला दिल्ली से सात किलोमीटर दूर हरियाणा के फरीदाबाद जिले में मनाया जाता है। हर वर्ष फरवरी माह में ही यह मेला लगता है। इस मेले में हस्तशिल्पीयों और वास्तुशिल्पीयों को एक मंच प्रदान किया जाता है । जिससे वे लोग ग्राहक से सीघा संपर्क करते हैं। इस मेले में बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी होती है। पिछले वर्ष यहां सात लाख से अधिक लोग आए थे । जिनमें से 25,000 हजार विदेशी नागरिक थे । इस वर्ष उम्मीद है कि कम से कम साढ़े सात लाख व्यक्ति इस मेले का लुफत उठाएंगें ।इसमें विदेशी सैलानियों की संख्या पिछले वर्षों से ज्यादा होने की संभावना है। हालांकि मेला अधिकारी राकेश जून ने बातचीत में विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का असर इस मेले पर भी पड़ने की आशंका व्यक्त किया है लेकिन आने वाले भीड़ से वह उत्साहित हैं। रविवार को इस मेल को देखने के लिए लगभग 1से डेढ़ लाख व्यक्ति यहां पहुंचते हैं । इस मेले को देखने वाले में दिल्ली एनसीआर जिसमें नोएडा, ग्रेटर नॉएडा ,गुड़गांव ,साहिबाबाद ,से बड़ी संख्या में लोग आते हैं । यह मेला 400 एकड़में फैले प्रकृति की गोद में होती है। 1986 से शुरू हुआ यह मेला लोकनृत्यों के प्रेमी के आकर्षण का विशेष केन्द्र भी रहा है । इस वर्ष यहां उड़ीसा ,असम ,पंजाब ,हरियाणा, गुजरात और राजस्थान के लोक कलाकार आए हुए हैं। यहां विभन्न कलाकारों के नृत्य और सेगीत का मजा लेने वालों की हर साल काफी भीड़ उमड़ती है। यहां पंताबी और हरियाणवी संगीत पर लोगों को झूमते हुए जगह-जगह आसानी से देखे जा सकते हैं। इन नृत्यों के लिए सूरजकुंड में एक चैपाल बना हुआ है। जहां यह कलाकार अपने कला का प्रदर्शन करते हैं। यहां आए कलाकारों को इस मेले से 10से 30 हजार तक की कमई आसानी से हो जाती है सूरजकुंड के मेले में 50 रूपये का प्रवेश शुल्क रखा गया है। लेकिन विदयार्थीयों के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। पिछले वर्ष इस मेले में टिकट बेचकर 15,937हजार डाॅलर की आमदनी हुई थी। यहां आए हस्तशिल्पीयों और वास्तुशिल्पीयों का सामान भी खुब बिकता है जिसमें उन्हें अच्छी खासी आमदनी होती है । इस मेले में इस बार मेले का विशेष आकर्षण का केन्द्र मिस्र का पंडाल रहा। वह इस मेले में विशेष आमंत्रित देश हैं। वहांसे आए प्रतिनिधि ने बातचीत में बताया कि यहां जितना हमें सम्मान मिला है मैं उससे अभिभूत हूं। मैं हर साल यहां आना चाहूंगा। मिस्र के साथ-साथ इस मेले में सार्क के भी सभी देश शामिल हुए हैं। सार्क देशों के पंडाल को देखने के लिए भी दर्शकों की भाड़ी भीड़ उमड़ती है। मघ्यप्रदेश इस बार मेले का थीम था। जिससे मघ्यप्रदेश पंडाल मेलेमें आए हरेक व्यक्ति देखना कतई नहीं भूलता है। पूरे मेला परिसर में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चैबन्द है। चप्पे-चप्पे पर प्रशासन की पूरी नजर है । जगह-जगह सीसी टीवी के कैमरे लगे हुए हैं ।मेले के बाहर अगिनशमन की गाडियां किसी भी विशेष परिस्थितियों के लिए खड़ी है। साथ ही मेले में डाक और एटीएम जैसी सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है। परिसर के बाहर गाड़ी पार्किंग के लिए बड़ी जगह है। जहां लोग अपनी गाड़ी खड़ी करते हैं ।रविवार को यहां लगभग 30हजार के करीब वाहन आ जाते हैं

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